ठगे जा रहे शराब पीकर प्रदेश को ख़ुशहाल बनाने वाले…विकास की गंगा बहाने वाले …
कौशल किशोर चतुर्वेदी
मद्यपान करने वालों की चिंता जितनी सरकार को है मामा जी को है, उससे ज़्यादा विपक्ष को है यानी चाचा ताऊओं को है।मध्य प्रदेश के राजनेताओं की रग-रग में सुरा प्रेमियों के लिए प्रेम की गंगा बह रही है। वजह भी ख़ास है। शराब पीकर और प्रदेश के ख़ज़ाने को भरकर आख़िर यही शराब प्रेमी तो प्रदेश में ख़ुशहाली ला रहे हैं। विकास की गंगा बहा रहे हैं।दिन को सूरज की रोशनी में और ज़्यादा चमकदार बना रहे हैं तो रात को चाँद के आग़ोश में मदहोश बना रहे हैं।शराब प्रेमियों की वजह से मध्य प्रदेश की हवा भी ख़ुशनुमा है तो पानी में भी मिठास क़ायम है।शायद यही वजह है कि लॉकडाउन में भी जब लोग घरों में क़ैद थे तब भी सरकार ने शराब की दुकानों की न केवल चिंता की बल्कि यह ख़याल भी रखा कि शराब दुकानदारों और ठेकेदारों को कोई समस्या ना हो।कांग्रेस सरकार के समय हुए ठेके चलाने में ठेकेदारों ने शराब दुकानें चलाने में असमर्थता जतायी तो आनन फ़ानन में सरकार ने नये ठेकेदारों के हवाले प्रदेश की मधुशालाएं सौंप दी।सरकार को नफ़ा के फेर में नुक़सान ज़्यादा हो गया।पर अब शराब प्रेमियों की जेब पर डाका डाला जा रहा है यह आरोप है कांग्रेस का। और कांग्रेस ने सरकार को दो टूक कह दिया है कि यदि शराब पीने वाली जनता ठगी गई तो कांग्रेस सड़क पर संघर्ष करने से पीछे नहीं हटेगी।
कांग्रेस का आरोप है कि मध्य प्रदेश सरकार और शराब ठेकेदारों की मिलीभगत से अधिकतम खुदरा मूल्य से अधिक दामों पर शराब बेची जा रही है। मध्यप्रदेश में जब कांग्रेस की सरकार थी उस समय ठेकेदारों को शराब की जो दुकानें आवंटित की गई थी, उनमें से 70 प्रतिशत ठेकेदार दुकानों को छोड़ चुके हैं। कांग्रेस सरकार ने जो नीति बनाई थी उस नीति को खत्म करने की नियत से भाजपा सरकार ने कई बार आबकारी नीति में संशोधन करने के प्रयास किए, लेकिन तीन बार टेंडर रोक दिए गए। तीनों बार शराब ठेकेदारों को भाजपा सरकार द्वारा बनाई गई नीति का लाभ नहीं मिला। जिस कारण विज्ञप्ति में खर्च की गई राशि का भी नुकसान ठेकेदारों को झेलना पड़ा है। अंत में कांग्रेस सरकार द्वारा बनाई गई आबकारी नीति को ही प्रदेश में लागू करना पड़ा। जिसके चलते ठेकेदारों ने दुकानें कब्जे में ले लीं और नए सिरे से दुकानें खोलकर शराब की बिक्री मनमाने दामों पर शुरू कर दी हैं।
मध्य प्रदेश के अधिकतर जिलों में आज शराब की बिक्री प्रिंट रेट से अधिक दाम पर की जा रही है। इसकी लिखित जानकारी प्रदेश के वाणिज्य कर मंत्री जगदीश देवड़ा जी सहित आबकारी विभाग के आला अधिकारियों को भी दी गई है।
पूर्व वाणिज्यिक कर मंत्री बृजेंद्र सिंह राठौर ने मांग की कि सरकार बताये, आज तक इस संबंध में कितने प्रकरण कायम किए गए हैं? और इन प्रकरणों पर क्या कार्रवाई की गई है? क्या यह गंभीर आर्थिक अपराध नहीं है?
उपरोक्त अनियमितताओं पर तुरंत कार्रवाई नहीं होने की दशा में हमारी पार्टी आंदोलन करने के लिए बाध्य होगी।
वैसे देखा जाए तो कांग्रेस की असल चिंता यह भी है कि शराब प्रेमियों की जेब पर छोटा-छोटा डाका डालकर सरकार अधिकारी और ठेकेदार मिलकर करोड़ों का वारा- न्यारा कर रहे हैं। आकलन है कि देशी-अंग्रेज़ी शराब की एक बोतल पर 10 से लेकर 28 फ़ीसदी तक ज़्यादा अवैध वसूली हो रही है। हर दिन शराब की लाखों बोतलें बिकती हैं।ऐसे में शराब उपभोक्ताओं की जेब पर हर दिन पाँच करोड़ का डाका डाला जाने का मोटा अनुमान है।साल के बचे हुए दिनों को जोड़ने पर यह महालूट हज़ार करोड़ से ज़्यादा की हो जाएगी।ऐसे में कांग्रेस का परेशान होना भी स्वाभाविक है क्योंकि यह रक़म प्रदेश के माईबाप फटे कपड़ों में देशी शराब की दुकान के सामने खड़े ग़रीब गुरवा मज़दूर मजबूर अन्नदाता और बेकारी से जूझ रहे प्रदेश के सबसे बड़े हितैषी जन का है तो वहीं अंग्रेज़ी शराब की दुकान के सामने खड़े शराब पीकर प्रदेश की ख़ुशहाली की कामना करने वाले असल जागरूक शराबभक्तों का है। जिनकी दम पर प्रदेश की ग़रीब कन्याओं की शादियां हो रही है, गरीबों के कल्याण की योजनाएं परवान चढ़ रही है तो हर साल बारिश से पहले उखड़ने वाली सड़कें भी चमचमाती रहें, सरकार यह भी कोशिश कर रही है। नगरीय क्षेत्रों में विकास हो रहा है तो ग्रामीण क्षेत्रों में भी सड़क बिजली पानी की चिंता हो रही है।गरीबों की संख्या भी बढ़ रही है तो अमीरों की संख्या भी बढ़ रही है। प्रदेश को चमन बनाने में यदि शराब प्रेमियों का अमन चैन नियमों से परे जाकर छीना जाए और विपक्ष चुप बैठा रहे, यह तो शराब प्रेमियों के प्रति घोर अन्याय वाली बात होगी।कि सरकार खुलेआम लूट मचाए और विपक्ष हाथ पर हाथ धरे बैठा रहे।
वैसे तो सरकार भी शराब प्रेमियों की बड़ी प्रेमी है जो कि वह लॉकडाउन में भी साबित कर चुकी है। पर हो सकता है कि अभी कोरोना के चक्कर में सरकार का ध्यान अपने प्रेमियों की इस समस्या की तरफ़ न जा पाया हो। भरोसा किया जाना चाहिए कि सरकार जागेगी और दोषियों जिम्मेदारों पर नियमों का हंटर चलाकर पाई-पाई का हिसाब भी वसूलेगी। ताकि विपक्ष के खाते में शराब प्रेमियों की सहानुभूति ना जा पाए और सरकार का ख़ज़ाना भरने वाले यह मतदाता अपना वोट देकर उपचुनाव में भाजपा सरकार की ख़ुशहाली का ख़याल भी रख सकें।
पर फिलहाल तो भाजपा ने कांग्रेस पर निशाना साधा है कि उन्होंने जिस गंभीरता के साथ शराब, शराबियों और शराब कारोबारियों की बात उठाई है, उससे स्पष्ट है कि कांग्रेस को सबसे अधिक चिंता शराब की है। दूध, सब्जी, भोजन और दवाओं जैसी चीजें कांग्रेस की प्राथमिकता सूची में कहीं भी नहीं है। अब प्रदेश का ख़ज़ाना भरने वाले शराब प्रेमियों को शराबी कहकर कहीं भाजपा उनका अपमान तो नहीं कर रही है। यदि शराब प्रेमियों को भाजपा इतनी बुरी नज़र से ही देखती है तो क्या सरकार गुजरात की तर्ज़ पर अगले साल मध्य प्रदेश में भी मद्यनिषेध के मार्ग पर जाएगी? फ़िलहाल तो यही लगता है कि भाजपा की तरफ़ से जारी प्रारंभिक बयान शायद सुरा प्रेमियों का अपमान है।सरकार आने वाले समय में भाजपा के इस बयान से पल्ला भी झाड़ सकती है।