राजनीति में नए आयाम गढ़ेगा चम्बल का दंगल !
कौशल किशोर चतुर्वेदी
आगामी विधानसभा उपचुनावों में चंबल क्षेत्र सबसे अहम किरदार निभाने जा रहा है। आगामी समय में सत्ता में कौन रहेगा, इसका फ़ैसला करने में चंबल क्षेत्र की 16 विधानसभा सीटों की महत्वपूर्ण भूमिका है। हाल ही में ग्वालियर शहर में मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच हुई चुनावी झड़प से साफ़ हो गया है कि चंबल का राजनीतिक दंगल निश्चित तौर से नए आयाम गढ़ेगा। डर इस बात का है कि यह राजनीतिक दंगल हिंसात्मक रुप लेकर उपचुनावों को दाग़दार न बना दे। ग्वालियर-चंबल क्षेत्र की जैसी तासीर रही है, उसमें किसी तरह की आशंका से मुँह नहीं मोड़ा जा सकता। इतिहास गवाह है कि कभी बीहड़ के बाग़ी चंबल क्षेत्र की पहचान रहे हैं। सरकारें भी इनके सामने कई मौकों पर असहाय और बेबस नज़र आयी हैं। जिस अवैध खनन को लेकर भी विधानसभा में हमेशा ही ग्वालियर-चम्बल की चर्चा होती है, उसमें भी दबंगई दूर से ही नज़र आ जाती है। एक आईपीएस सहित अवैध खनन के रास्ते में आए कई सरकारी मुलाजिम चम्बल के ख़ूनी रंगत में अपनी जान गवाँ चुके हैं। इसके बाद भी न तो अवैध खनन रुका है और न ही अवैध खनन करने वालों पर सरकार कोई अंकुश लगा पाई है। चुनावों में भी आमने-सामने की लड़ाई में चम्बल परहेज़ नहीं करता है। चम्बल का ख़ूनी है जो ताल ठोकता है, मारने में गुरेज़ नहीं है और मरने से भी नहीं डरता है।ऐसे में अगर उपचुनाव ने मर्यादा लांघी तो राजनीति ही शर्मसार होगी…जो शांति के टापू मध्य प्रदेश को भी शर्मसार होने पर मजबूर करेगी।हालाँकि जिस तरह मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने भाजपा कार्यकर्ताओं से सब्र से काम लेने की नसीहत दी है, वह पहल सराहनीय है।और सब्र और शांति से चुनाव होने पर चंबल क्षेत्र में राजनीति के नए आयाम गौरव करने का भी भरपूर मौक़ा देंगे।
ग्वालियर-चंबल क्षेत्र की डबरा विधानसभा सीट की भावी उम्मीदवार महिला विकास मंत्री इमरती देवी के कथित वीडियो के वायरल होने से भी राजनीति में चर्चा का दौर जारी है। इसमें मंत्री दावा कर रही हैं कि उपचुनाव में हमें सरकार बचाने 8 सीटें चाहिए और कांग्रेस को सरकार बनाने 27 सीटों की जरूरत है। कांग्रेस सभी 27 सीटें जीत जाएगी। अब आप बता दो कि सत्ता-सरकार का आँखें मींचें बैठी रहेगी और वे सब की सब सीटें जीत लेंगे। सत्ता सरकार में इतनी दम होती है कि जिस कलेक्टर को फोन करेंगे, वह सीट हम जीत जाएंगे। हालाँकि मंत्री इमरती देवी ने वायरल वीडियो को फ़र्ज़ी बताया है लेकिन कांग्रेस ने इस वीडियो के आधार पर चुनाव आयोग को शिकायत की है कि बिना विधायक बने पद पर आसीन सभी मंत्रियों को पद से हटाया जाए ताकि विधानसभा उपचुनाव में वे पद का दुरुपयोग न कर सकें।हालाँकि सत्ता सरकार के आगे निश्चित तौर से प्रशासन-पुलिस नतमस्तक रहते हैं लेकिन जिस तरह वीडियो में दावा किया जा रहा है, वह भी उपचुनावों में परिणामों को लेकर नए राजनीतिक आयाम गढ़ने की बात ही है। राजनीति में सत्ता पर प्रशासनिक दुरुपयोग के आरोप-प्रत्यारोप लगना आम बात है लेकिन यदि कोई मंत्री इस तरह का दावा करें तो निश्चित तौर से सार्वजनिक तौर पर तो आयाम ही गढ़े जाएंगे।
वैसे भी मध्यप्रदेश में होने वाले यह उपचुनाव ऐतिहासिक ही हैं क्योंकि 25 विधानसभा सीटों पर वही चेहरे भाजपा की तरफ़ से मैदान में मतदाताओं से रूबरू होंगे जो विधानसभा चुनाव में तत्कालीन भाजपा सरकार और उसके मुखिया शिवराज सिंह चौहान पर तंज कस रहे थे। अब यही 25 चेहरे 15 महीने तक कांग्रेस सरकार का हिस्सा रहे और उपचुनाव में तत्कालीन कांग्रेस सरकार और उसके मुखिया रहे कमलनाथ की बुराई एवं वर्तमान भाजपा सरकार व मुख्यमंत्री शिवराज की तारीफ़ कर जीत के लिए वोट माँगते नज़र आएँगे।ऐसे में यह उपचुनाव अपने आप में ही नए आयाम गढ़ते दिखेंगे। पहले ज़मीर की परीक्षा होगी, फिर जीत-हार भी नज़ीर बनेगी।मतदाता भी अग्नि परीक्षा के दौर से गुज़रेंगे और प्रत्याशी भी…सरकार किसी भी दल की रहे पर मध्यप्रदेश के उपचुनावों के परिणामों पर पूरे देश की नज़र रहेगी, यह तय है। क्या आयाम गढ़े जाते हैं…वह चौंकाएँगे भी और हँसाएँगे-रुलाएँगे भी पर यह आयाम चंबल के दंगल से ही उपजेंगे। जिसमें नेताओं के सब्र की भी परीक्षा होगी तो नेताओं के चेहरों को काला-सफ़ेद करने का काम भी मंच पर या मैदान में किया जाएगा। मंच और मैदान में लाल धब्बे न दिखें, यह उम्मीद ज़रूर की जानी चाहिए।