*महाराज बन गए टाइगर…शिवराज को सता रहा पंचक का डर*
कौशल किशोर चतुर्वेदी
भाजपा नेता, राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया का भोपाल का दल बदलने के बाद यह दूसरा दौरा कई मायनों में यादगार हो गया है। खुद को टाइगर के ख़िताब से नवाजकर महाराज ने शिवराज के साथ भाईचारे का भाव खुलकर प्रकट किया है। अब प्रदेश में भाजपा के यह दो टाइगर नए-नए रिकार्ड बनाने को तैयार हैं।दूसरी तरफ़ महाराज के सामने शिवराज ने यह दर्द भी बयां कर दिया कि कहीं न कहीं उनके मन में पंचक में शपथ लेने का डर समाया हुआ है।मंत्रिमंडल विस्तार में देरी की वजह भी वे इसी को मान रहे हैं। तो निश्चित तौर पर आगे किसी भी गड़बड़ी का ठीकरा पंचक पर ही फूटना तय है।
कांग्रेस सरकार गिराकर भाजपा को सिर आँखों पर बिठाकर महाराज ने नई पार्टी के साथ अपनी पसंद-नापसंद में भी आमूलचूल बदलाव कर लिया है। मार्च में भाजपा का दामन थामने के बाद लगातार मध्यप्रदेश से दूरी बनाते हुए महाराज ने राज्यसभा सांसद बनने के बाद ही मंत्रिमंडल विस्तार के दिन क़रीब साढ़े तीन महीने बाद प्रदेश की जनता को अपना दीदार होने दिया।जहाँ मंत्रिमंडल का गठन न होने पर बार-बार महाराज की नाराज़गी के क़यास लगाए गए तो सौ दिन बाद हुए मंत्रिमंडल विस्तार में अपने समर्थकों के हक को लेकर उन्होंने तनिक भी समझौता नहीं किया यह भी सूची ज़ाहिर कर रही है। महाराज नए दल में प्रवेश के बाद प्रदेश के दूसरे दौरे में सार्वजनिक मंच पर भाजपा नेताओं को लेकर विनम्रता की सारी हदें पार करने को आतुर दिखाई दिए तो कांग्रेस की रीति- नीति और कांग्रेस नेताओं के प्रति हीरे से भी ज़्यादा कठोर बनकर छलनी-छलनी करने में भी उन्होंने तनिक भी लोभ नहीं किया।
**महाराज का शिवराज प्रेम-*
पर नए दल के नेताओं में महाराज अगर किसी पर फ़िदा हैं तो वह हैं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान। मार्च में प्रदेश भाजपा कार्यालय में सदस्यता लेने पहुँचे महाराज ने शिवराज की भूरि- भूरि प्रशंसा की थी।और भरोसा भी दिलाया था कि अब शिवराज और वह एक और एक मिलकर दो नहीं बल्कि 11 का दम भरेंगे।
दो जुलाई को मध्य प्रदेश पहुँचने पर मंत्रिमंडल शपथ ग्रहण के बाद महाराज ने शिवराज का सुपर हिट डायलॉग टाइगर ज़िंदा है, से भी ख़ुद को एकाकार कर लिया। राजभवन इसका साक्षी बना तो दूसरे दिन प्रदेश भाजपा कार्यालय में भी शिवराज के सामने ही मंच पर महाराज ने एक बार फिर टाइगर ज़िंदा है डायलॉग दोहराकर यह प्रकट कर दिया कि प्रदेश में अब शिवराज के साथ- साथ वह भी टाइगर नहीं तो टाइगर से कम भी नहीं है।इसके अलावा भी वह शिवराज की तारीफ़ करते नहीं थके। उन्होंने ख़ुलासा किया कि रात दो बजे तक वह शिवराज के साथ बैठक करते रहे। और शिवराज जी इतने परिश्रमी हैं कि अगर वह तीन घंटे और बैठक करने का बोलते तो शिवराज अपनी बाहें ऊपर चढ़ा कर कहते कि ठीक है महाराज।परिश्रम की इसी पराकाष्ठा से शिवराज ने मध्य प्रदेश में कोरोना को मात दे दी है। यानी कि महाराज कांग्रेस में रहते हुए भी अगर भाजपा में किसी नेता से ख़ासे प्रभावित रहे हैं तो वह शख़्सियत शिवराज सिंह चौहान की ही थी।एक सामान्य पृष्ठभूमि से आकर तीन बार प्रदेश का मुख्यमंत्री बनना कहीं न कहीं महाराज को प्रभावित करता रहा होगा। शायद यही वजह है कि शिवराज को चौथी बार मुख्यमंत्री बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाकर महाराज गदगद हैं।
ताली एक हाथ से नहीं बजती, अगर देखें तो शिवराज भी महाराज के मुरीद होने का भाव प्रकट करने में उन पर भारी ही पड़ते हैं। अपने भाषण से पहले महाराज को संबोधित करते हुए ही वह आदर सम्मान और विनम्रता का भाव प्रकट करने की पराकाष्ठा को पार कर हिसाब चुकता करने में कोताही नहीं बरतते हैं। यानी कि महाराज जितना अपने पूरे भाषण में शिवराज को तवज्जो देते हैं, उससे ज़्यादा तवज्जो तो शिवराज ख़ाली संबोधन करते समय ही दे डालते हैं। इसमें कोई श़क नहीं कि 22 वह उपचुनाव जो भारतीय जनता पार्टी के लिए किसी राम रावण युद्ध या महाभारत की लड़ाई से कम नहीं हैं। उसमें शिवराज और महाराज मिलकर खुद को एक और एक मिलकर दो नहीं बल्कि एक और एक मिलकर 11 साबित करने का भरसक प्रयास करेंगे।
*छलक पड़ा टाइगर का दर्द*-
प्रदेश भाजपा कार्यालय में पार्टी की वर्चुअल रैली में शिवराज महाराज के बीच स्नेह और अादर के ग़ुब्बारे उड़ते नज़र आए तो शिवराज का दर्द भी फूट पड़ा।उन्होंने स्वीकार किया कि पंचक में उन्हें मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी गई।उनकी इच्छा नवरात्रि के पहले दिन शपथ लेने की थी।लेकिन ऊपर से आदेश आया कि आज ही शपथ लेनी है तो पंचक में शपथ लेनी पड़ी।और इसका असर मंत्रिमंडल के गठन पर पड़ा है। यानी कि मंत्रिमंडल गठन के बाद पहले भाषण में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंत्रिमंडल गठन में देरी होने का सारा ठीकरा पंचक पर फोड़ दिया।यह उनका दर्द है या मंत्रिमंडल गठन में देरी का इलाज कड़वी दवा जनता को पिलाकर आपसी खींचतान के दृश्य पर एक बार में पर्दा डाल दिया, यह तो खुद शिवराज ही समझ सकते हैं या बता सकते हैं। हालाँकि पंचक का असर मंत्रिमंडल विस्तार पर भी दूसरे रूप में देखा गया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की इच्छा थी कि देवों के सोने के पहले मंत्रियों को शपथ दिलवा दी जाए लेकिन शपथ एक दिन बाद ही हो पाई है। अच्छी बात यह है कि पंचक का असर शपथ के मुहूर्तों के साथ भले ही तालमेल नहीं बैठा पा रहा हो लेकिन भाजपा की सौ दिन की उपलब्धियों के दावों का सौ फ़ीसदी फ़ायदा प्रदेश के लोगों को हक़ीक़त में मिलता रहे।
**कब था पंचक-*
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अशुभ समय में किए काम मनचाहा परिणाम नहीं देते। यही कारण है कि पंचक में बहुत से शुभ काम करने की मनाही है। पंचक के अंतर्गत धनिष्ठा, शतभिषा, उत्तरा भाद्रपद, पूर्वा भाद्रपद व रेवती नक्षत्र आते हैं। 21 मार्च, शनिवार की सुबह लगभग 07.33 से पंचक शुरू हुआ था, जो 25 मार्च, बुधवार की शाम लगभग 06.08 तक रहा था। शनिवार को शुरू होने वाला पंचक अशुभ की श्रेणी में आता है। ऐसे में पाँच दिन शुभ काम की मनाही की गई है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की धर्म-कर्म में विशेष आस्था है, ऐसे में
चौथी बार मुख्यमंत्री बनने का रिकार्ड बनाने वाले शिवराज को पंचक में शपथ लेना कहीं न कहीं मन को सालता रहेगा।