गिर के शेर और बासमती के जीआई टैग के लिए तो पिछले 10-15 साल से तरस रहा प्रदेश
कौशल किशोर चतुर्वेदी
अब गिर के शेर और बासमती चावल के जीआई टैग को लेकर मध्यप्रदेश पिछले 10-15 साल से तरस रहा है।दोनों ही मुद्दे केंद्र की भाजपा सरकार के समय ही अटके हैं। बासमती चावल के लिए जीआई टैग को लेकर सियासी दाँव पेंच में मध्य प्रदेश के लिए फ़िलहाल पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को भले ही खलनायक बनाया जा रहा हो लेकिन हक़ीक़त यह है कि गिर के शेर और बासमती चावल दोनों ही मुद्दों में मध्य प्रदेश को कहीं न कहीं केंद्र की भाजपा सरकार के समय ही करारी मात मिली है।जहाँ तक बासमती चावल के जीआई टैग का मामला है तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पिता स्वर्गीय प्रेम सिंह चौहान ने भी बासमती को पहचान दिलाने की लड़ाई में मध्य प्रदेश के किसानों का साथ दिया है।पर उनके जीते ज़ी मध्य प्रदेश के बासमती को पहचान नसीब नहीं हो पाई।पंजाब की आपत्ति कोई नई नहीं है बल्कि कहा जाए तो इससे पहले पंजाब में भाजपा समर्थित सरकार के समय ही मध्य प्रदेश को बासमती चावल के जीआई टैग न मिल पाने का दंश झेलना पड़ा था।और केन्द्र में तब भाजपा की ही सरकार थी। यदि मध्य प्रदेश का पक्ष सही ढंग से सुना गया होता तो निश्चित तौर से शिवराज की तीसरी पारी में ही मध्य प्रदेश के बासमती को जीआई टैग का तमग़ा मिल चुका होता।
वहीं गिर के शेर के इंतज़ार में कुनो पालपुर अभयारण्य भी अपनी पहचान खो चुका है लेकिन गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के समय से गुजरात की अस्मिता के नाम पर मध्य प्रदेश को अघोषित तौर पर इस मुद्दे पर भी हार का सामना ही करना पड़ा है।गिर के शेर मध्य प्रदेश को देने के लिए सुप्रीम कोर्ट भी फ़ैसला सुना चुका है लेकिन इसके बाद भी क़ानूनी दाँव पेंच फँसाकर गुजरात अपनी अस्मिता को बचाने में सफल रहा है।और मध्य प्रदेश को हर मोर्चे पर लड़ाई जीतने के बाद भी मुँह की ही खानी पड़ी है।
बासमती का बैकग्राउंड-
दुनिया भर में अपनी खुशबू और स्वाद के लिए मशहूर बासमती चावल की लगभग 12 साल से चल रही यह लड़ाई अब सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गई है। यह मामला मध्य प्रदेश बनाम सात अन्य राज्यों से जुड़ा हुआ है। जुलाई के पहले सप्ताह में इसी मसले को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नई दिल्ली में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात की। उन्होंने बासमती चावल को जियोग्राफिकल इंडिकेशन यानी जीआई टैग दिलाने में मदद करने की गुहार लगाई है।
गिर के शेर का इंतज़ार जारी-
मध्यप्रदेश ने पिछले एक साल में न केवल एक बार फिर देश में टाइगर स्टेट होने का गौरव प्राप्त किया है बल्कि वैश्विक जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग से निपटने के साथ वन-वन्य प्राणी संरक्षण और वनवासियों के उत्थान के सतत प्रयास भी शुरू कर दिए हैं। आधिकारिक जानकारी के अनुसार, गुजरात के गिर में बचे हुए एशियाटिक लायन को विलुप्त होने से बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा कूनो अभयारण्य में कुछ शेरों की शिफ्टिंग के लिए राज्य सरकार सक्रिय है।गिर से कुछ शेरों को मध्य प्रदेश में कुनो वन्य जीव अभयारण्य में बसाने की प्रक्रिया वर्ष 1989 में शुरू हुई थी। तब कुनो क्षेत्र को बसावट के लिए तैयार किया गया था।पर पिछले दो दशक में सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद भी मध्य प्रदेश को मायूसी ही हाथ लगी है।
*नायक नहीं खलनायक है तू -*
1993 में रिलीज़ हुई खलनायक फ़िल्म का एक गाना बहुत चर्चित हुआ था। आनंद बख़्शी का लिखा यह गाना तब हर ज़ुबान पर चढ़ा था। इस गाने की तरह ही मध्य प्रदेश में भी बासमती टैग और गिर के शेर के मामले में नायक और खलनायक का फ़ैसला कर पाना बड़ा ही मुश्किल है। हालाँकि सियासी दाँव पेंच चलते रहेंगे लेकिन अंत भला सो सब भला, की तर्ज़ पर मध्य प्रदेश को यदि यह दो सौगातें मिल जाती है तो जो नायक बनना चाहे, वह नायक बन जाए और किसी को भी खलनायक बना दिया जाए दोनों ही फैसलों से मध्यप्रदेश की साढ़े सात करोड़ जनता ख़ुशी ख़ुशी सहमत हो जाएगी।आइए गाने का लुत्फ़ लेते हैं,गाने के बोल कुछ इस तरह हैं।
‘नायक नहीं खलनायक है तू
नायक नहीं खलनायक है तू
ज़ुल्मी बड़ा दुःखदायक है तू
इस प्यार की तुझको क्या कदर
इस प्यार के कहा लायक है तू
नायक नहीं खलनायक हूँ मैं
नायक नहीं खलनायक हूँ मैं
ज़ुल्मी बड़ा दुःखदायक हूँ मैं
है प्यार क्या मुझको क्या खबर
बस यार नफ़रत के लायक हूँ मैं
नायक नहीं खलनायक हूँ मैं…
तेरी तबियत तो रंगीन है पर
तू मोहब्बत की तौहीन है
कुछ भी नहीं याद इसके सिवा
न मैं किसी का न कोई मेरा
जो चीज़ मांगी नहीं वो मिली
करता मैं क्या और बस छीन ली
बस छीन ली
बस छीन ली
मैं भी शराफत से जीते मगर
मुझको शरीफ़ों से लगता था डर
सबको पता था मैं कमज़ोर हूँ
मैं इसलिए आज कुछ और हूँ
कुछ और हूँ
कुछ और हूँ
नायक नहीं खलनायक हूँ मैं
ज़ुल्मी बड़ा दुःखदायक हूँ मैं
है प्यार क्या मुझको क्या खबर
बस यार नफ़रत के लायक हूँ मैं
नायक नहीं खलनायक है तू…..