कांग्रेस को भी रटना होगा चरैवेति-चरैवेति मंत्र… जिसके सहारे भाजपा साधती सत्ता- संगठन तंत्र
कौशल किशोर चतुर्वेदी
भाजपा के प्रशिक्षण वर्ग की प्रक्रिया मंडल स्तर पर शुरू हो चुकी है। मध्य प्रदेश में उपचुनाव में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद भारतीय जनता पार्टी रुकी नहीं, थकी नहीं और सतत चलती जा रही है, बढती जा रही है। भाजपा में संगठन स्तर पर ‘चरैवेति-चरैवेति’ मंत्र पर अमल करते हुए मंडल स्तर पर प्रशिक्षण वर्ग की शुरुआत हो चुकी है। एक हज़ार से ज्यादा मंडलों में भाजपा कार्यकर्ताओं को पार्टी की रीति-नीति और विचारधारा से ओतप्रोत करने और आधुनिक डिजिटल मीडिया तक से रूबरू कराने और सरकार की उपलब्धियों को जन-जन तक पहुँचाने के लिए सघन प्रयास शुरु हुए है। प्रशिक्षण का महत्व क्या है? मिसरोद मंडल के कार्यकर्ताओं को बताते हुए विधायक कृष्णा ग़ौर ने बताया कि एक वर्ष की योजना बनानी हो तो पेड़ लगाओ, 25 वर्ष की योजना बनानी हो तो बाग-बग़ीचा लगाओ और 100 वर्ष की योजना बनानी हो तो प्रशिक्षण दो। प्रशिक्षण के ज़रिए कई पीढ़ियाँ रीति-नीति, विचारधारा में ढल जाती हैं जिसका फ़ायदा संगठन को सदियों तक मिलता है। चरैवेति-चरैवेति की इसी सोच और प्रशिक्षण के महत्व के चलते ही भाजपा संगठन स्तर पर मज़बूत है तो सत्ता के साथ बिना थके, बिना रुके कंधे से कंधा मिलाकर बढ़ती जा रही है। और लक्ष्य के प्रति समर्पण और कार्यकर्ताओं के अथक परिश्रम का ही नतीजा है कि भाजपा ने 5 साल की जगह मध्यप्रदेश में 15 महीने में ही न केवल सत्ता में वापसी की है बल्कि उपचुनावों में भी कांग्रेस को धूल चटाते हुए साबित कर दिया है कि भाजपा दुनिया का सबसे बड़ा राजनैतिक दल है तो उसके पीछे चरैवेति-चरैवेति मंत्र को आत्मसात किए कार्यकर्ताओं का ही बल है।
भाजपा के मंडल स्तर पर प्रशिक्षण की गंभीरता का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि प्रदेश अध्यक्ष व सांसद विष्णुदत्त शर्मा ने मिसरोद मंडल के प्रशिक्षण वर्ग के उदघाटन सत्र को संबोधित किया।तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सीहोर जिले के शाहगंज मंडल को संबोधित किया। प्रदेश अध्यक्ष व सांसद विष्णुदत्त शर्मा ने प्रशिक्षण और कार्यकर्ता का महत्व बताया कि कार्यकर्ता पार्टी का चेहरा होता है, प्रवक्ता होता है। भविष्य में इन्हीं कार्यकर्ताओं में से नेतृत्व निकलकर आता है। प्रशिक्षण की बदौलत साधारण कार्यकर्ता भी शिखर तक पहुंच जाता है, यह बात हमारे नेताओं ने साबित की है। इसीलिए भारतीय जनता पार्टी में कार्यकर्ता निर्माण एक सतत प्रक्रिया है। पार्टी अपने विचार से कार्यकर्ताओं को अवगत करा सके, यही प्रशिक्षण का उद्देश्य है। प्रशिक्षण वर्ग में सीखी गई बातें हमें बहुत आगे तक ले जाती हैं। प्रत्येक कार्यकर्ता बूथ-बूथ तक अपनी राजनीतिक और सामाजिक जिम्मेदारी का निर्वाह कर सके, इसके लिए प्रशिक्षण बेहद जरूरी है।
वैसे अगर भाजपा में देखा जाए तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हों या फिर प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा या मोदी-शाह की जोड़ी … सतत चलते-चलते ही सभी अपनी-अपनी मंज़िलों तक पहुँच गए और मंज़िल पर पहुंचने के बाद भी न तो रुके और न ही थके। संगठन की मज़बूती और सत्ता पर मज़बूत पकड़ इसी चरैवेति का ही प्रमाण है। प्रशिक्षण के ज़रिए जहाँ पंडित दीनदयाल उपाध्याय, डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी और अटल बिहारी वाजपेयी को याद किया गया तो पंडित नेहरू की विफलता और धारा 370 हटाकर कश्मीर में भाजपा की सफलता का बखान भी कार्यकर्ताओं के बीच गर्व से किया गया। आगामी नगरीय निकाय चुनाव हों या फिर पंचायत चुनाव उपलब्धियों की यह घुट्टी कार्यकर्ताओं में ऊर्जा भरने के लिए और मैदान में फ़तह के लिए काफ़ी है।
- तो दूसरी तरफ़ प्रदेश में कांग्रेस संगठन सोया-सोया सा है। लगता है हार की निराशा नेताओं पर हावी है। थकान ने डेरा डाल रखा है, सब कुछ रुक सा गया है-थम सा गया है। कांग्रेस उपचुनावों में न तो अपनी 15 माह की उपलब्धियों को गिनाकर मतदाताओं को लुभा सकी। और न ही प्रदेश में लोकतंत्र की हत्या का आरोप साबित कर सत्ता में वापसी के सपने को साकार कर पाई।और अब हाथ पर हाथ रख शायद आगामी विधानसभा चुनावों तक विश्राम का मन बना चुकी है।फिर ऐन वक़्त पर गुटीय आधार पर टिकट वितरण की प्रक्रिया में जुटेगी, हालाँकि एक गुट कम हुआ है पर पूरी कांग्रेस कमजोर हुई है…उपचुनाव के परिणामों से यह साफ़ हो चुका है। यह तय है कि कांग्रेस इस बीच हुए पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव में हार का ठीकरा फोड़ने की वजहें भी सोते-सोते भी ढूँढ ही लेगी। पर यह बात सौ फ़ीसदी सच है कि कांग्रेस का उद्धार भी चरैवेति-चरैवेति मंत्र पर अमल के बिना नहीं होगा। विपक्ष के रूप में भी ज़िंदा रहना है तब भी चरैवेति-चरैवेति ही रटना होगा वरना संसद की तरह राज्यों में विधानसभाओं में भी कांग्रेस के हाथ से विपक्ष में बने रहने का सम्मान भी गुम होने का संशय बना रहेगा। यह भी तय है कि मध्यप्रदेश में कमलनाथ और दिग्विजय के बाद चरैवेति-चरैवेति के मंत्र पर अमल करने वाले युवाओं की टोली जब तक सक्रिय नहीं होगी…तब तक बिना रुके, बिना थके सत्ता को मुट्ठी में लाने का प्रयास फलीभूत नहीं होगा। क्योंकि चरैवेति-चरैवेति मंत्र ही भाजपा के लिए सत्ता-संगठन तंत्र को साधता है और इसी मंत्र को सिद्ध कर ही कोई दूसरा दल भी सत्ता से वनवास के दलदल से पार पा सकता है।